तनु वेड्स मनु रिटर्न न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही है बल्कि इसने लोगो के दिलों को भी छुआ है। कुछ लोग जहाँ इस फिल्म को छद्म नारीवाद या भ्रम में उलझा नारीवाद बता रहे है तो कुछ का कहना है की यह फिल्म भारतीय समाज की तरह ही एक डरपोक अंत की तरफ जाती है । सोशल मीडिया पर जितना इस फिल्म के बारे मे लिखा जा रहा है शायद ही किसी और फिल्म के बारे मे लिखा गया हो ।
आइए इस फिल्म के बारे में फेसबुक पर लिखे गए कुछ विचार पढ़ते है :-
बापिष्ट संस्कारों की पुनर्स्थापना के लिये तनु को पहले वैम्प और बाद में टिपिकल देसी पत्नी बना देना जरूरी था और दत्तो को पहले बिंदास और बाद में टिपिकल बलिदानी प्रेमिका बनाना भी जरूरी था। फ़िल्म को हिट कराने के लिए भी जरूरी था। लेकिन कंगना का अभिनय दिलकश है।
----आशुतोष कुमार

-----प्रशांत पाण्डेय

सिनेमा हमेशा से चीज़ों को अतिरंजित कर दिखाता है और तनु एक अभिनेत्री है बस, उसे स्त्री मुक्ति के रोल मॉडेल के रूप में तो कतई नहीं देखा जा सकता , बल्कि वह तो अपने पति के पैसों पर पलने वाली एक सिरफ़िरी और बद दिमाग औरत है जिसे सही गलत की रत्ती भर समझ नहीं इसलिए ऐसी नायिकाओं को कोट कर स्त्री के अपना स्पेस गढ़ने के लंबे संघर्ष को जिसमें उनकी आर्थिक और मानसिक आज़ादी भी निहित है , पागलपन करार देना और परिवार टूटने की वजह बताना, बहुत गलत है। हकीकत तो यह है कि हमारा बॉलीवूड अभी भी एक मुक्त स्त्री की छवि सही से गढ़ पाने में असमर्थ है। कोशिश करने पर यही घटिया , स्तरहीन किरदार ही निकलते हैं जिसे किसी भी सही माने में आधुनिक और मुक्तिकामी स्त्री से रिलेट नहीं किया जा सकता । (देखने के बाद )
------ रश्मि भारद्वाज

फिल्म का फस्ट हाफ तेज है गतिशील है और सोचने के पहले ही नए सीन आ जाते हैं जबकि दूसरे हाफ में फिल्म धीमी है आगे क्या होने वाला है पता चल जाता है
अवस्थी जी का दो डायलाग-'साले ओरिजनल भी यही लेंगे डुप्लीकेट भी यही लेंगे' और 'ईंट से ईंट जोड़ने के लिए सीमेंट चाहे जेके हो या अंबुजा मुझे फर्क नहीं पड़ता है' लाजवाब है
अंत में माधवन पहली फिल्म से आज तक मेरे फेवरेट हैं , इस फिल्म में भी श्रेष्ठ भूमिका निभाई है |
----- सौरभ
तनु वेड्स मनु रिटर्न्स के बहाने

परसों यह फिल्म देखी ,फिल्म ठीक लगी पर मैं जो इस फिल्म के बहाने एक महत्वपूर्ण सवाल उठाना चाहती हूँ वह यह कि मेंटल हॉस्पिटल व पुनर्वास संस्थान के लिए प्रचलित नाम “ पागलखाना” को क्या अब बदला नहीं जाना चाहिए? इस फिल्म में जब जब यह नाम आया तब तब दर्शक सहानुभूति दिखाने की जगह हँसते हुए नज़र आए। यह हमारी किस मानसिकता को उजागर करता है?
फिल्म में नायक व नायिका किसी भी गंभीर मानसिक रोग से ग्रस्त नहीं थे बल्कि वे अपने शादीशुदा जीवन की आपसी समस्या को सुलझाने के लिए लंदन के एक मनोचिकित्सालय व पुनर्वास केंद्र में सलाह लेने जाते हुए दिखाये हैं जो कि अपने आपस की समस्या को सुलझाने की दिशा में उनके द्वारा उठाया गया एक बहुत ही अच्छा कदम था परंतु वहाँ अत्यधिक गुस्सा आने पर नायक को चार लोगों द्वारा पकड़ कर ले जाना एक बहुत ही गलत संदेश देता है फिर बाहर आकर नायिका द्वारा व अन्य लोगों द्वारा बार बार “ पागलखाना” शब्द का प्रयोग तो उस से भी अधिक गलत संदेश देता है। इस प्रकार तो जो लोग अपने आपस की समस्या को सुलझाने के लिए डॉक्टर के पास अस्पताल में जाना भी चाहेंगे वे अब बिलकुल भी नहीं जाएँगे क्योंकि एक तो वैसे ही इस नाम के साथ एक सोशल टैबू जुड़ा है दूसरा यह संदेश जाता है कि वहाँ जाने वाले को पकड़ कर अंदर ही कर दिया जाएगा जेल की तरह।
इस नाम के चलते ही तो मानसिक बीमारियों से ग्रसित आधे से अधिक अधिक मरीज न तो मनोचिकित्सालय जाते हैं और न ही मनोचिकित्सक के पास फिर वे या तो मंदिरों/ तांत्रिकों की शरण में जाते हैं या फिर साधारण डॉक्टरों के पास जाते हैं।
( यदि आप में से कोई मेरी सी बात को भारत सरकार व फिल्म निर्माता/निर्देशक तक पहुंचाने में मदद कर सकते हैं तो मुझे रास्ता सुझाएँ )
--- सुनीता सनाढ्य पाण्डेय

कुल मिलाकर यह कि तनु और उस जैसी अन्यों में ऐसा क्या है कि उन्हें ज़रा देर भी चाहा जा सके . ये पत्नी बनने के लिए पैदा हुई और पत्नी के गुमनाम ओहदे पर. पैरासाइट की तरह जीते रहने को खुदा की नेयमत मानने वाली फूहड़ प्रजाति है .
इसके ठीक विपरीत दत्तो जैसी आधुनिक , संधर्षशील , आत्मनिर्भर ,सुलझी हुई , स्वाभिमानी लड़की से मिलवाने के लिए फिल्म की पूरी टीम का आभार .
नीलिमा चौहान
कंगना इस दौर की सबसे समर्थ अभिनेत्री है...

मेरा यकीन मानिए कंगना इस दौर की सबसे समर्थ अभिनेत्री है.
"क्वीन" ने इस बात को साबित किया था, तनु रिटर्न्स ने इस पर अमिट मोहर लगा दी है.
मुबारक अली

तनु वेड्स मनु रिटर्न्स मुझे कहीं से भी औसत से बेहतर नहीं लगी, अपनें सापेक्षिक सपाट चेहरे के वावजूद स्वरा का अभिनय कंगना से मुझे बेहतर लगा । कंगना की संवाद अदायगी में सुधार की बेहद गुँजाईस है, जिमि शेरगिल के छोटे चरित्र को और उभारने की जरूरत लगी, जबकि पप्पी और वकील का चरित्र निभाने वाले व्यक्ति नें बेहतर अभिनय किया ।
स्वैगर-स्वैगर वाले गानें के लिए युवक और युवतियों में जो मै पागलपन देख रहा हूँ, गाने को सुनने देखने के बाद वाकई यह पागलपन ही लगा ।
फिल्म की कहानी आधी अधूरी लगी, शादी से दुल्हन गायब करनें के बाद दुल्हन का जिक्र एकाएक गायब हो जाता है । माधवन नें सहजता से अपने जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है और वह परिपक्व लगे ।
फिल्म में कई जगह कैमरे के एंगल बचकानें लगे, जबकि कई शीन लाँग शाट की माँग करते लगे । बैकग्राउंड स्कोर कई जगहों पर बेवजह शोर करता लगा ।
कुल मिलाकर, यह फिल्म मुझे टुकड़ो में अच्छी लगी, पर एक सम्पूर्ण फिल्म के रूप में यह मुझे औसत से उपर कतई नहीं लगी ।
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(पुनश्च : मेरी टिप्पणी पर मेरी पत्नी की प्रतिक्रिया है कि अब मै वाकई बूढ़ा हो चुका हूँ और मुझे नए जमाने की फिल्में देखना बंद कर देना चाहिए, शायद वह सही कहती है ।)
--- कश्यप किशोर मिश्र

---- मजदूर झा
पॉप वाप सी रैप वैप सी बजती रग रग मे कंगना,

और हमारी कुमारी कुसुम सांगवान, जिला झझर ,हरियाणा ने तो कमाल किया है, कंगना इस अदाकारी के लिए ताउम्र याद रखी जाएंगी।
लेकिन फिल्म मे अगर किसी ने कमाल किया है तो वो लेखक हिमांशु शर्मा है, एक एक संवाद तबीयत से लिखा गया है और आनंद राय तो निर्देशन की एक नयी परिभाषा गढ़ रहे हैं |
फिल्म के संवाद इस फिल्म की जान है और हमेशा की दर्शकों की तालियाँ बटोरने में कामयाब रहें हैं । संगीत भी बहुत कर्णप्रिय है ।
---- गौरव कबीर
---- गौरव कबीर
प्रस्तुति और संकलन
गौरव कबीर
गौरव कबीर, सांख्यिकी और डेमोग्राफी जैसे विषयों पर कार्य करते हैं और हाल फिलहाल मे ही लिखना भी शुरू किया है। आप की कविताएँ पत्रिकाओ में छप चुकी है तथा आप एक अँग्रेजी कथा संग्रह “You, Me and Zindagi-2” का सह-सम्पादन भी कर चुके है। घूमना, फोटोग्राफी और कुकिंग का शौक है ।
1 comments:
तनु वेड्स मनु रिटर्न्स रिलीज़ होने के अगले दिन ही देख ली थी - - - अब तो भूल भी गई - - - पूरी फिल्म अच्छी थी - - - मनोरंजन से भरपूर - - - कंगना आँसू भरी आँखों में भी उतनी ही खूबसूरत दिखती हैं जितनी हँसते हुए - - - माधवन बेबस पति के रोल में अच्छे लगे हैं - - - इसका पार्ट वन जिन्होंने देखा है उन्हें ये एक धारावाहिक जैसी लगेगी - - - कुल मिलाकर एक बार देख लेनी चाहिए - - - इसके पार्ट थ्री का इंतज़ार है मुझे